शिमला, 14 नवम्बर।
अंतरराष्ट्रीय लवी मेले के दौरान जाइका वानिकी परियोजना के तहत निर्मित लिबास पर आम व्यक्ति और सैलानी खूब फिदा हुए। मेले के दौरान जाइका के स्टॉल में किन्नौरी एवं पारंपरिक लिबास की जमकर बिक्री हुई।
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प्राप्त जानकारी के मुताबिक चार दिनों के इस मेले में जाइका के तहत स्यवं सहायता समूहों के उत्पादों की बिक्री लाखों में हुई। प्रदेश के विभिन्न जिलों से यहां पहुंचे लोगों ने किन्नौरी पट्टी से निर्मित कोट, चोली, बास्केट समेत जैकेट की खूब खरीददारी की।
यानी कुल मिलाकर कम दाम में क्वालिटी प्रोडक्ट्स खरीद कर लोग काफी खुश दिखे। उल्लेखनीय है कि अंतरराष्ट्रीय लवी मेले के अवसर पर 11 से 14 नवंबर तक जाइका वानिकी परियोजना के स्टॉल में लगे उत्पादों की जमकर सराहना भी हुई।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक यहां किन्नौरी टोपी 400 रुपये प्रति, लेडीज बास्केट 1600, जेंट्स बास्केट 1800, किन्नैरी चोली 2500 और किन्नौरी पट्टी वाला कोट मात्र 4500 रुपये में उपलब्ध हैं। इसके अलावा लोकल लसन के आचार, लोकल शहद, ढिंगरी मशरूम, किन्नौरी
दाक, किन्नौरी राजमाह, सूखा पुदीना, कोदे का आटा, चुल्ली का तेल, सूखा बरांश की बिक्री हुई। जाइका के तहत विभिन्न स्वयं सहायता समूहों की ओर से निर्मित इन उत्पादों लवी मेले में तहलका मचा दिया।
मेले के समापन्न अवसर पर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने भी जाइका प्रोजेक्ट के तहत निर्मित सभी उत्पादों की सराहना की। उन्होंने जाइका वानिकी परियोजना के तहत विभिन्न सहायता समूहों को बधाई भी दी।
बताया गया कि स्यवयं सहायता समूह रामपुर डिविजन की सेल 41915, स्वयं सहायता समूह आनी डिविजन की सेल 188435 और किन्नौर फोरेस्ट डिविजन के तहत स्वयं सहायता समूह द्वारा निर्मित उत्पादों की बिक्री 137270 रुपये की हुई।
सभी स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों ने जाइको वानिकी परियोजना के मुख्य परियोजना निदेशक नागेश कुमार गुलेरिया का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि आज नागेश कुमार गुलेरिया के सहयोग से स्वरोजगार एवं आजीविका कमाने का बेहतर अवसर मिल रहा है।
अधिक रही चिलगोजे की मांग
अंतरराष्ट्रीय लवी मेला रामपुर में इस बार चिलगोजे के मांग सबसे अधिक रही। यहां जाइका की ओर से लगे स्टॉल में हर तरह के आर्गेनिक प्रोडक्ट्स की मांग अधिक रही। मक्की का आटा, सूखे मटर, फाफरा, ओगला, चुल्ली का तेल, शहद, चिलगोजा और ड्राई मशरूम की भी खूब बिक्री हुई। बताया गया कि फोरेस्ट सर्कल रामपुर के 12 सहायता समूहों के उत्पादों पर हर कोई फिदा होते दिखे। रामपुर और किन्नौर डिविजन के 3-3 और आनी डिविजन के 6 सहायता समूहों के उत्पादों की मांग हर रोज होती रही।
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