शिमला, 16 नवम्बर।
उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने आज यहां राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर ‘कृत्रिम मेधा के दौर में मीडिया की भूमिका’ विषय पर आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम की अध्यक्षता की और मीडिया जगत से जुड़े लोगों को इस दिवस पर बधाई दी।
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उन्होंने कहा कि पत्रकार महत्त्वपूर्ण सामाजिक घटनाओं, सरकार के काम से सम्बंधित जानकारी और अन्य सूचनाओं को सच्चाई और तथ्य के आधार पर समाज के समक्ष प्रस्तुत करने का दायित्व निभाते हैं।
उन्होंने कहा कि खबरों से ही एक पत्रकार की पहचान होती है और पाठकों के बीच पत्रकार की विश्वसनियता ही उसकी सबसे बड़ी उपलब्धि है।
उन्होंने कहा कि पत्रकारिता में सत्यता, वस्तुनिष्ठा, पारदर्शिता और निष्पक्षता की अपेक्षा रहती है। पिछले दो दशकों में पत्रकारिता के क्षेत्र में डिजिटलाइजेशन का प्रभाव साफ देखा जा सकता है।
उन्होंने कहा कि प्रिंट मीडिया और ब्रॉडकास्ट मीडिया के साथ ही आज सोशल मीडिया का दौर है, लेकिन हर माध्यम की अपनी एक महत्ता है जो कभी कम नहीं होगी।
उप-मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने भी नवीन प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को अपने विभागों में शामिल करने की पहल की है। इसी का परिणाम है कि आज सरकारी क्षेत्र के सभी विभाग ई-ऑफिस से जुड़ रहे हैं।
इसके अलावा सड़क सुरक्षा, अपराध नियंत्रण, पुलिस विभाग व शिक्षा आदि क्षेत्रों में सरकार नवीनतम प्रौद्योगिकी व आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग से उल्लेखनीय कार्य कर रही है।
उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी के विस्तार से आज प्रत्येक व्यक्ति सूचना सम्प्रेषण का एक माध्यम बन चुका है। हाल ही की प्राकृतिक आपदा में हुए नुकसान से संबंधित विभिन्न वीडियो सोशल मीडिया के माध्यम से आम लोगों द्वारा ही प्रसारित किए गए।
उप-मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रेस लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने में आज भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। सरकार व जनता के मध्य संवाद कायम करने में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका है।
मुख्य संसदीय सचिव, सूचना एवं जन सम्पर्क, संजय अवस्थी ने कहा कि आजादी से लेकर वर्तमान तक मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। परिवर्तन के इस दौर को आत्मसात करते हुए हमें अपने मूल्यों एवं आदर्शों पर ही अडिग रहना होगा।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर आयोजित परिचर्चा हमें सामयिक मुद्दों पर विमर्श का अवसर प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि हाल ही में प्रदेश में आई प्राकृतिक आपदा के दौरान मीडिया की भूमिका सराहनीय रही है।
परिचर्चा में भाग लेते हुए मुख्य वक्ता द ट्रिब्यून चण्डीगढ़ के एसोसिएट सम्पादक संजीव बरयाना ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इन्सानियत का भविष्य हैै। इससे हमारा कार्य आसान हुआ है और समाचारों के प्रसार में भी तेजी आई है।
उन्होंने एआई के सचेत उपयोग पर बल देते हुए कहा कि इसके शरारतपूर्ण अथवा गलत उपयोग से व्यापक स्तर पर हानि से भी इन्कार नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा कि एआई के उपयोग से वस्तुनिष्ठता तो संभव है, लेकिन यह चेतना के स्तर पर कभी भी व्यक्तिनिष्ठ नहीं हो सकती। उन्होंने डीपफेक जैसे माध्यमों से हाल ही में वीडियो से छेड़छाड़ कर तथ्यहीन सूचनाओं के प्रसार से संबंधित उदाहरण भी प्रस्तुत किए।
दैनिक जागरण के हिमाचल संस्करण के सम्पादक नवनीत शर्मा ने कहा कि हमें कृत्रिम मेधा को शत्रु समझने के बजाए सहायक समझना चाहिए। हालांकि एआई को विवेक के अनुसार हम कैसे अपनाते हैं, यह व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है।
उन्होंने कहा कि मानवीय संवेदना के स्तर पर कृत्रिम मेधा इन्सान के सामने कहीं नहीं ठहरती। यह एक ऐसा दोस्त है, जो आपसे हाथ मिला सकता है, गले लग सकता है, लेकिन आगोश में नहीं समा सकता। उन्होंने कहा कि आभासी दुनिया में 90 के दशक के अन्तिम वर्षों में
कृत्रिम मेधा का उपयोग आरम्भ हो गया था। मीडिया जगत को भी इसका सचेत उपयोग करना उनके दैनिक कार्यों में सहायक होगा।
पंजाब केसरी डिजिटल टीवी के सम्पादक संजीव शर्मा ने कहा कि बदलते दौर के साथ सूचना प्रौद्योगिकी भी निरंतर उन्नत होती गई है।
आरम्भ में बदलाव से हमें संकोच होता है और निरन्तर उपयोग से हम इसके प्रति सहज महसूस करने लगते हैं। उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से घबराने अथवा डरने की आवश्यकता नहीं है। अपितु इसके सकारात्मक पहलुओं को अपनाते हुए हमें इनके
उपयोग पर संकोच नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के दौर में एआई का उपयोग आवश्यक है मगर तथ्यों की जांच-परख भी उतना ही जरूरी है।
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