राजगढ़ : आसरा संस्था के प्रभारी वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर जोगेंद्र हाब्बी व आसरा संस्था के कलाकार इन दिनों भाषा एवं संस्कृति विभाग, हिमाचल प्रदेश के सौजन्य से राजस्थान के जयपुर में आयोजित किया जा रहे लोक रंग उत्सव 2023 में सिरमौरी लोक नृत्यों का प्रदर्शन कर रहे हैं। इस राष्ट्रीय स्तरीय लोक उत्सव में भारतवर्ष के विभिन्न राज्यों से आए सांस्कृतिक दल अपने-अपने राज्यों के लोक नृत्य का प्रदर्शन कर रहे हैं।
आसरा संस्था के कलाकारों ने इस उत्सव में बिहारी लाल शर्मा सहायक निदेशक भाषा एवं संस्कृति विभाग के निर्देशन में तथा जोगेंद्र हाब्बी के नेतृत्व में गुरु शिष्य परंपरा के अंतर्गत गुरु पद्मश्री विद्यानंद सरैक द्वारा तैयार करवाई गई नृत्य विधाओं की प्रस्तुति देकर जयपुर के दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया।
आसरा के कलाकारों द्वारा इस उत्सव में सिरमौर जनपद के ठोडा नृत्य, रिहाल्टी, मुंजरा, रासा आदि नृत्य विधाओं के साथ-साथ जिला सिरमौर के देव परंपरा से जुड़े आदिकालीन सिंहटू नृत्य की प्रस्तुति देकर जहां उत्सव में पधारे दर्शकों की भरपूर तालियां बटोरी वहीं जयपुर की जनता को सिरमौर जनपद की संस्कृति से रूबरू करवाया।
गौरतलब है कि जोगेंद्र हाब्बी के नेतृत्व में उनका दल भाषा एवं संस्कृति विभाग सिरमौर द्वारा आयोजित की जाने वाली लोक नृत्य प्रतियोगिताओं में लगातार 10 बार प्रथम स्थान प्राप्त कर चुका है जिसके परिणामस्वरूप जोगेंद्र हाब्बी का नाम इंडिया, एशिया व वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हो चुका है और उनके नेतृत्व में सांस्कृतिक दल देश के विभिन्न राज्यों में लोक नृत्यों की प्रस्तुतियां देता आ रहा है और इसी कड़ी में जयपुर में आयोजित किए जा रहे इस उत्सव में भी दल के कलाकार अपनी प्रस्तुतियों के माध्यम से खूब वाहवाही लूट रहे हैं।
इस राष्ट्रीय लोक नृत्य समारोह व राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला में आसरा के बीस सदस्यीय दल में जोगेंद्र हाब्बी के अलावा गोपाल हाब्बी, रामलाल वर्मा, सरोज, चमन, मनमोहन, दिनेश, अनु, संदीप, बिमला, हेमलता, आरती, प्रीति, बलदेव, मुकेश, नरेंद्र, सुनील, कृष्ण, अमन, सुरेन्द्र आदि कलाकारों ने गायन वादन तथा नृत्य की प्रस्तुति देकर विभिन्न राज्यों के कलाकारों की प्रस्तुतियां के मध्य अपनी अलग पहचान बनाई।
आसरा संस्था के कलाकारों द्वारा सिरमौर लोक नृत्य के साथ इस उत्सव में राजस्थान का भपंग वादन, उत्तर प्रदेश की ब्रज होरी, मणिपुर का हरि रिहा, तमिलनाडु का कड़घम कावड़ी, असम का बगरुम्बा व बारदोई शिखला, त्रिपुरा का होजागिरी, बिहार का होली नृत्य, झरनी नृत्य, जाट जटनी, कृषि नृत्य, बारहमासा व झूमर नृत्य, गुजरात का सिद्धी गोमा, झारखंड का पुरुलिया छऊ, कश्मीर का रुफ आदि नृत्यों की प्रस्तुतियां भी हुई।