हिमाचल डायरी न्यूज़, शिमला, 22 फरवरी।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि पूर्व सरकार में चलाई जा रही जनहित की योजनाओं के लाभार्थियों को कोई सहायता नहीं मिल रही है, लेकिन जब भी मुख्यमंत्री से यह बात पूछी जाती है
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तो हमेशा यही जवाब आता है कि कोई योजना बंद नहीं हुई है। न योजना बंद हुई है और न ही योजनाओं का पैसा लोगों को मिल रहा है। समझ में नहीं आ रहा है कि क्या हो रहा है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि इस तरह का व्यवस्था परिवर्तन पहले नहीं देखा जहां पर अशक्त लोगों को दी जा रही पेंशन को भी बंद कर दिया गया हो और सरकार इस संवेदनहीन कृत्य को स्वीकार करने को भी तैयार न
हो। जयराम ठाकुर ने कहा कि पूर्ण रूप से अशक्त और बीमार लोगों के लिए हमारी सरकार ने ‘सहारा योजना’ की शुरुआत की थी। जिसके तहत इस योजना के पात्र लोगों को 3 हज़ार रुपए की मासिक पेंशन दी
जा रही थी लेकिन जब से सुक्खू की सरकार आई है तब से इस योजना का पैसा रोक दिया गया है। हमें लोगों के फ़ोन आते है और कहते है कि पेंशन दिलवा दीजिए। जब मुख्यमंत्री से पूछो तो कहते हैं कि किसी योजना
को बंद नहीं किया गया है। मुख्यमंत्री महोदय को बताना चाहिए कि अगर योजना बंद नहीं हुई है तो लोगों को पेंशन क्यों नहीं मिल रही है। अशक्त लोगों को पेंशन न दे पाने वाली व्यवस्था परिवर्तन इस प्रदेश को स्वीकार
नहीं है। जयराम ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री को संवेदना के आधार पर काम करते हुए सहारा जैसी योजनाओं का पैसा हर महीनें जारी करना चाहिए। जयराम ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री इस सरकार को
लेकर गंभीर नहीं हैं। आज सरकार में बैठे विधायक भी सरकार से परेशान हैं और अपनी आवाज़ उठा रहे हैं। युवा नौकरी के लिए सड़कों पर हैं। कर्मचारी वेतन के लिए सड़कों पर हैं। प्रदेश में हर वर्ग आज सरकार से
नाराज़ भी हैं और निराश भी हैं। इसके बाद भी सरकार गंभीर नहीं है। इस बजट में विकास को रफ़्तार देने की कोशिश की जा सकती थी लेकिन मुख्यमंत्री ने पुरानी बजट में घोषित योजनाओं को बिना वित्तीय प्रबंध
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इस बार के बजट में भी शामिल कर दिया। सरकार के इस रवैये से साफ़ है कि इस बार के बजट में की गई बातें भी हवा हवाई हैं।
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