शिमला, 27 दिसंबर।
अग्निहोत्री ने केंद्रीय मंत्री से राज्य में हाल ही में आई भारी प्राकृतिक आपदा के मद्देनजर हिमाचल की मदद के लिए उदारता से हाथ बढ़ाने का आग्रह किया।
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उन्होंने कहा कि राज्य को हुआ नुुकसान अभूतपूर्व है और इसका भारी खामियाजा जल शक्ति विभाग हिमाचल प्रदेश कोे भुगतना पड़ा है। जल शक्ति विभाग की 11863 योजनाओं को 2132 करोड़ रुपये की व्यापक क्षति हुई और इनमें से जल जीवन मिशन के तहत निर्मित
671 योजनाओं को भी 614 करोड़ रुपये की क्षति हुई। अग्निहोत्री ने केंद्रीय मंत्री को जानकारी दी कि जल जीवन मिशन (जेजेएम) के तहत 376 करोड़ रुपये के आवंटन में सेे 25 प्रतिशत यानि लगभग 96 करोड़ रुपये क्षतिग्रस्त योजनाओं की बहाली के लिए खर्च करने होंगे।
इसके परिणामस्वरूप जेजेएम पर चल रहे कार्यों के लिए धन की कमी हो जाएगी। उन्होंने आगे बताया कि अनुमोदित वार्षिक कार्य योजना 2023-24 (ए.ए.पी.) के अनुसार जेजेएम की तहत आवंटन 1274 करोड़ रुपये हैं, जिसे भारत सरकार द्वारा घटाकर 376 करोड़ रुपये
कर दिया गया है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री से आग्रह किया कि हिमाचल की गंभीर स्थिति को ध्यान में रखते हुए इसकी वार्षिक कार्य योजना को 1274 करोड़ रुपये की राशि बहाल की जाए।
केंद्रीय मंत्री ने आश्वासन दिया कि वह इस मामले को देखेंगे और हिमाचल से अनुरोध पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेंगे। अग्निहोत्री ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री से अनुरोध किया कि हिमाचल को जेजेएम योजनाओं को पूरा करने के लिए 6 महीने का विस्तार दिया जाए,
क्योंकि पिछले तीन महीनों के दौरान जल शक्ति विभाग, हिमाचल प्रदेश का पूरा ध्यान क्षतिग्रस्त योजनाओं की बहाली पर था जिसके परिणामस्वरूप चल रहे कार्यों की प्रगति में बाधा उत्पन्न हो रही है।
अग्निहोत्री ने केंद्रीय मंत्री को याद दिलाया कि हिमाचल दौरे को दौरान उन्होंने राज्य सरकार को लेह और लद्दाख की तर्ज पर हिमाचल के बर्फीले क्षेत्र के लिए एंटी-फ्रीज जल आपूर्ति योजनाएं बनाने के निर्देश दिए थे।
तदनुसार, राज्य सरकार ने जेजेएम के तहत 27 एंटी फ्रीज प्रस्तावों को मंजूरी के लिए केंद्र को भेजा है। हालांकि भरमौर, लाहौल, काजा और चांगों (जिला किन्नौर) के लिए 4 पॉयलट प्रस्तावों को मंजूरी दे दी गई है।
उन्होंने केंद्रीय मंत्री से शेष 23 प्रस्तावों को शीघ्र मंजूरी देने का अनुरोध किया। केंद्रीय मंत्री ने आश्वासन दिया कि शेष प्रस्तावों पर प्राथमिकता के आधार पर विचार किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री से सिंचाई एवं बाढ़ संबंधित मुद्दों पर भी चर्चा की गयी।
अग्निहोत्री ने कहा कि जिला ऊना के बीट क्षेत्र द्वितीय चरण और कुटलैहड़ निर्वाचन क्षेत्र के लिए सतही लघु सिंचाई योजनाओं के 118.79 करोड़ रुपये के दो प्रस्ताव भारत सरकार के पास लम्बित है और उनकी तत्काल मंजूरी के लिए अनुरोध किया गया है।
केंद्रीय मंत्री ने इसका आश्वासन भी दिया। मुकेश अग्निहोत्री ने काफी समय से लंबित पड़ी जिला कांगड़ा में 643 करोड़ रुपये की फीना सिंह सिंचाई परियोजना और जिला ऊना में 339 करोड़ रुपये की ब्यास बेसिन में स्वां नदी के तटीकरण को मंजूरी देने के लिए केंद्रीय मंत्री का
आभार प्रकट किया। उन्होंने केंद्र सरकार से धनराशि जारी करने का आग्रह किया ताकि ये कार्य शुरू किये जा सकें। उन्होंने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) के तहत चल रही सिंचाई परियोजनाओं के लिए केंद्रीय सहायता जारी करने का मामला भी
प्राथमिकता पर उठाया। केंद्रीय मंत्री ने आश्वासन दिया कि वह इसे प्राथमिकता से मंजूरी देंगे। श्री अग्निहोत्री ने नमामि गंगे के तहत चिड़गांव, रोहडू, सरस्वती नगर, सोलन, कंडाघाट और ददाहू में सीवरेज प्रणाली प्रदान करने के लिए 289 करोड़ रुपये के 4 प्रस्तावों को मंजूरी देने
का भी अनुरोध किया। उपरोक्त प्रस्ताव भारत सरकार के पास अनुमोदन हेतु पड़े हुए हैं। केंद्रीय मंत्री ने आश्वासन दिया कि प्रस्तावों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाएगा।
अग्निहोत्री ने पीएमकेएसवाई और बाढ़ नियंत्रण कार्यक्रम (एफएमपी) के तहत सूक्ष्म सिंचाई योजना नादौन, उठाऊ सिंचाई योजना बरोटी-मंडप, उठाऊ सिंचाई योजना मसोत खड्ड और सकरैण, मल्होड़ के लिए बाढ़ सुरक्षा कार्यों के संबंध में लंबित धनराशि जारी करने का भी
अनुरोध किया। केंद्रीय मंत्री ने आश्वासन दिया कि संतुलित धनराशि जारी करने के प्रस्तावों पर विचार किया जाएगा। अग्निहोत्री ने पहले से स्वीकृत 11 बाढ़ सुरक्षा परियोजनाओं के लिए धनराशि जारी करने पर जोर दिया।
उन्होंने आगे बताया कि हिमाचल में व्यापक बारिश से नुकसान हुआ है और विभिन्न नदियों के किनारे सबसे ज्यादा तबाही हुई है। उन्होंने कहा कि इन नदियों, नालों में ऐसी घटनाएं अक्सर होती रही हैं।
जल शक्ति विभाग ने केन्द्रीय जल तथा ऊर्जा अनुसंधान स्टेशन (सीडब्ल्यूपीआरएस), पुणे से मॉडल अध्ययन करने के बाद चैनेलाइजेशन के लिए 1795 करोड़ रुपये की एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की है।
हिमाचल के उप-मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री से हिमाचल में लोगों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा के लिए इसे जल्द से जल्द जारी करने का अनुरोध किया।
अग्निहोत्री ने ब्यास नदी के रणनीतिक महत्व को देखते हुए इसके तटीकरण के महत्व पर जोर दिया क्योंकि कुल्लू-मनाली हवाई अड्डा, चंडीगढ़ लेह राष्ट्रीय राजमार्ग इस नदी के तट पर स्थित है।
उन्होंने आगे कहा कि इस नदी के तटीकरण से कुल्लू और लाहौल घाटी से बागवानी उत्पादों के परिवहन के अलावा पर्यटकों की सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित होगी।
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अग्निहोत्री ने पीएमकेएसवाई के तहत हिमाचल प्रदेश की 14 लघु और मध्यम सिंचाई (एसएमआई) योजनाओं के लिए दो समान किस्तों (वित्त वर्ष 2023-24 के लिए) में 141.76 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता जारी करने के लिए केंद्रीय मंत्री को धन्यवाद दिया।
अग्निहोत्री ने हिमाचल प्रदेश की राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना के तहत 221.78 लाख रुपये की केंद्रीय सहायता जारी करने के लिए भी धन्यवाद दिया।
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